...क्या कहीं कुछ दाल में काला तो नहीं है?
15 जुलाई 2013 से लगभग डेढ़ माह पहले सूचना आयोग ने भारत के सभी राजनैतिक दलों को सूचना अधिरकार के अंतर्गत लाने के आदेश दिए थे | 15 जुलाई 2013 को छह हफ्ते की समय सीमा बीत जाने के बावजूद एक भी राष्टीय दल ने केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के निर्देशों के अनुरूप सूचना अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है | ऐसा लगता है कि सरकार इस कानून में संसोधन के लिए तैयार है | सरकारी सूत्रों के मुताबिक सीआईसी के फैसले के बाद मचे सियासी घमासान के बीच ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कानून मंत्री कपिल सिब्बल को संसोधन संबंधी रास्ते का फार्मूला तैयार करने का निर्देश दिया था | इस कड़ी में सिब्बल ने अटार्नी जनरल से बात कर रूपरेखा तैयार कर ली है | मगर सरकार में इस बात का फैसला नहीं हो पाया है कि संसोधन के लिए मानसून सत्र का इंतजार किया जाए या इससे पहले अध्यादेश का सहारा लिया जाए |
सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाए जाने के खिलाफ सभी राजनितिक दल एकजुट है और सरकर भी इनका साथ देने को तैयार बैठी है | समझ में नहीं आता कि जब सभी राजनैतिक दल पाक-साफ हैं, तो इन्हें सूचना के अधिकार में आने में क्या परेशानी है? सभी राजनैतिक दलों के सूचना के अधिकार से बचने की कोशिश को देख कर, ऐसा लगना स्वभाविक है कि शायद दाल में कुछ काला है? राजनैतिक दलों पर जब-जब शिकंजा कसता है या नेताओं को अपनी सैलरी बढ़ानी हो तो सभी राजनैतिक दलों की एकता देखने लायक होती है|
यदि इतनी एकता यह लोग भारत की जनता की समस्याओं को दूर करने में लगायें तो सम्भवता अब तक हमारा देश समस्या मुक्त हो चुका होता|
मुख्य सूचना आयुक्त सत्यनारायण मिश्रा का कहना है की सीआईसी तब तक कुछ नहीं कर सकती जब तक की इस मामले में आधिकारिक शिकायत दर्ज न कराई जाए | उधर, राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संयोजक अनिल बैरवाल ने कहा कि हमें दलों से ऐसे ही प्रतिक्रिया की उम्मीद थी | मगर इसके बाद भी इस कानून के तहत जबाब देने के लिए दलों के पास आज से ४ हफ्त्ते का समय है | यह समय बीत जाने के बाद एडीआर सभी जरुरी विकल्पों को आजमाएगी |
मुख्य सूचना आयुक्त सत्यनारायण मिश्रा का कहना है की सीआईसी तब तक कुछ नहीं कर सकती जब तक की इस मामले में आधिकारिक शिकायत दर्ज न कराई जाए | उधर, राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संयोजक अनिल बैरवाल ने कहा कि हमें दलों से ऐसे ही प्रतिक्रिया की उम्मीद थी | मगर इसके बाद भी इस कानून के तहत जबाब देने के लिए दलों के पास आज से ४ हफ्त्ते का समय है | यह समय बीत जाने के बाद एडीआर सभी जरुरी विकल्पों को आजमाएगी |
सब की अपनी - अपनी वाणी
सत्यनारायण मिश्रा -मुख्य सूचना आयुक्त|
दलों ने निर्देश का पालन नहीं किया है | मगर हम खुद कोई कार्यवाही नहीं कर सकते | इसके लिए जब तक आयोग के सामने शिकायत दर्ज नहीं की जाएगी , तब तक हम कुछ नहीं कर सकते |
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शांता राम नाईक -अध्यक्ष, विधि संबंधी संसंद की स्थाई समिति|
यह आदेश गलत है, सरकार RTI कानून में जरुरी संशोधन करेगी, इसके लिए अध्यादेश लाया जा सकता है, या फिर मानसून सत्र का इंतजार किया जा सकता है|
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मनीष तिवारी, केंद्रीय मंत्री
इसमें अगर राजनैतिक दलों को शामिल करने की बात होती तो इसकी स्पष्ट व्यख्या भी होती | जब दलों को प्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल नहीं कर सकते | तब इसके लिए परोक्ष रूप से ऐसा करना उचित नहीं है |
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