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26:10:2013
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08:09:2013
दूर से
10:09:2013
Facebook friend Nidhi Nitya collected this useful information.
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08:09:2013
Reserved And Deserved
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08:09:2013
सत्य वचन
30:08:2013
आतंकवादियों से सहानभूति रखने वाले, अनगर्ल बयानबाजी करने वाले दिग्गी राजा पता नहीं कहाँ गायब हो गए हैं? संभवतः यासीन भटकल और टुंडा के बेगुनाह होने का सबूत ढूंड रहे होंगे| जब यह प्रकट होंगे तो एकदम नया बयान लेकर आयेंगे| देश की जनता के बजाय, देश के दुश्मनों के मानवाधिकारों का ख्याल रखने वाले कोई निर्लज्ज व्यक्ति ही हो सकता है| -
theweekindia की टिप्पणी
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फेसबुक के मित्र मनीष अग्रवाल की आम आदमी पार्टी (आप) पर की गयी टिप्पणी (दिनांक- २९-०८-२०१३)
Manish Agarwal कैसी देश सेवा? मैं भी आपकी तरह से सोचता था और अरविन्दजी कि जन सभाओं में भी जाता था और उन्हें सुनता भी था और उन्हें सच्चा देशभक्त भी मानता था. थोड़े बहुत डोनेशन भी दिया. परन्तु मेरा मोह बाद में भंग हो गया जब मैंने अरविन्दजी को मुस्लिम तुष्टिकरण के राह पर देश कि सुरक्षा से भी समझौता करते देखा. आप सोच रहे होंगे कि मैं कोई मोदी भक्त या भाजपा समर्थक हूँ. लेकिन ऐसा नहीं है मेरे भाई. मैं एक पूर्ण देशभक्त हूँ परन्तु एक हिन्दू भी हूँ. मगर अरविन्दजी और बाकि भाजपा विरोधी पार्टियों के अनुसार, अगर हिन्दू होना इस देश में देशभक्ति या धर्मनिरपेक्षता के परिधि में नहीं आता फिर तो मैं वैसा तो नहीं हूँ. हाँ आम व्यक्ति कि प्रचलित परिभाषा के तहत १००% देशभक्त हूँ. मैं तो समझ नहीं पा रहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चलते चलते अरविन्दजी अचानक कांग्रेस के बहु प्रचारित छद्म धर्मनिरपेक्षता की राह पर भला क्यों चल पड़े. फिर समझ में आया कि शायद सत्ता का लालच (लालची) या फिर सत्ता पाने को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने के कारण (नाम कि भूख या बदनामी/उपहास का केंद्र बनने का भय) इन्होने भी कुछ समझौते कर लिए हैं. अतः ये तो देश के साथ ईमानदारी तो कतई भी नहीं रही ना. देश के साथ तो ईमानदारी "सर्वधर्म समभाव" में हैं ना? फिर अरविन्दजी, एक स्वम्भू ईमानदार व्यक्ति, द्वारा एक धर्म विशेष पर मेहरबानी - भला क्यों? अगर कोई मजबूरी भी थी तो कुछ कहे बिना यह कहा जा सकता था कि "हमें पुरे तथ्य पता नहीं है , इसीलिए सत्ता में आये तो जांच के बाद ही कुछ कह पायेंगे". परन्तु नहीं, उन्हें तो वो शायद सत्ता प्राप्ति का सहज मार्ग सा लगा और भटक गए. जब वो अब ही भटक गए तो गद्दी संभाली तो क्या होगा दोस्तों? - स्वयं सोचें
theweekindia ३ अगस्त २०१३ को आप (आम आदमी पार्टी) से कुछ सवाल (सभी सवाल नीचे दिए गए हैं|) किये गए थे | आप (आम आदमी पार्टी) ने अभी तक किसी का भी जबाब नहीं दी है| लगता है कि आप (आम आदमी पार्टी) इन सवालों से बचना चाहते हैं? इस ब्लॉग के पाठकों को यदि अवसर मिले तो आप से यह सवाल अवश्य पूंछे|
१.) सभी पार्टी/दल RTI के अन्तरगत आने का विरोध कर रहे हैं| आप लोगों ने तो RTI के लिए संघर्ष किया है| आप लोगों का RTI के प्रति क्या रुख है?
२.) आप लोगों के अनुसार आप लोग दिल्ली में सरकार बना लेंगे (मेरे विचार में शायद समर्थन से) ...पर दिल्ली के बाहर तो आप लोग उन्ही लोगों से लड़ेंगे जो लोग इस समय के सबसे भ्रष्ट लोगों से लड़ेंगे| मेरा मतलब है कि सबसे भ्रष्ट व्यवस्था के विरुद्ध तो सबको एक होना ही चाहिए? वर्ना क्या आपस की लड़ाई में वो लोग फायदा नहीं उठा लेंगे? इससे भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फैंकने का काम तो पूरा नहीं हो पायेगा?
३.) आप लोगों को संसद के लिए समय है और "अभी हवा कुछ और ही है"| ऐसे में आप क्या करेंगे? देश की सोचेंगे या अपनी?
४.) आप लोगों ने लोक-आन्दोलन चलाये फिर अपनी पार्टी बनाई, पहले भी आन्दोलनों के बाद पार्टी बनी हैं जो शायद पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी हैं? फिर "आप" पर विश्वास क्यों किया जाये?
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11:08:2013
संगीत
30:07:2013
अन्ना हजारे का बयान
अन्ना हजारे ने कहा है कि "वर्ष 2003 में, महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के एक मंत्री ने मेरी हत्या के लिए हत्यारों को 30 लाख रूपए की सुपारी दी थी, लेकिन हत्यारे ने मेरे एक सहयोगी को मार दिया, पर मुझे छोड़ दिया|"
(यह बयान अमर उजाला के 30:07:2013 के "आज के बयान" से लिया गया है|)
...अब सवाल यह उठता है कि क्या अन्ना हजारे ने... उस समय उस मंत्री के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कराई थी,या नहीं? अगर हां तो उस रिपोर्ट का अभी तक क्या हुआ है? यदि नहीं तो रिपोर्ट क्यों नहीं कराई गई? क्या अन्ना हजारे
के पास प्रयाप्त सबूत नहीं थे ? या फिर अन्ना हजारे भी जुल्म को चुपचाप सह जाने वालों में शामिल हैं? यदि अन्ना हजारे चुपचाप जुल्म सह लेतें हैं तो देश को कैसे दिशा देंगें? अब यह चर्चा क्यों करना चाहते हैं?
अन्ना हजारे से पूरे देश को उम्मीदें हैं कि वह हमेशा सत्य का साथ देंगें | अन्ना हजारे को सच सामने लाने के लिए पूरी वास्तविकता बतानी ही चाहिए! आप लोगों का क्या विचार है? आप अपने विचार रखें|
भगवन खो गया
दो भाई थे। एक की उम्र 8 साल दूसरेकी 10 साल। दोनों बड़े ही शरारती थे। उनकी शैतानियों से पूरा मोहल्ला तंग आया हुआ था। माता-पिता रात-दिन ... इसी चिन्ता में डूबे रहते कि आज पता नहीं वे दोनों क्या करेंगे।
एक दिन गांव में एक साधु आया। लोगों का कहना था कि बड़े ही पहुंचे हुए महात्मा है। जिसको आशीर्वाद दे दें उसका कल्याण हो जाये। पड़ोसन ने बच्चों की मां को सलाह दी कि तुम अपने बच्चों को इन साधु के पास ले जाओ। शायद उनके आशीर्वाद से उनकी बुध्दि कुछ ठीक हो जाये। मां को पड़ोसन की बात ठीक लगी। पड़ोसन ने यह भी कहा कि दोनों को एक साथ मत ले जाना नहीं तो क्या पता दोनों मिलकर वहीं कुछ शरारत कर दें और साधु नाराज हो जाये। अगले ही दिन मां छोटे बच्चे को लेकर साधु के पास पहुंची।
एक दिन गांव में एक साधु आया। लोगों का कहना था कि बड़े ही पहुंचे हुए महात्मा है। जिसको आशीर्वाद दे दें उसका कल्याण हो जाये। पड़ोसन ने बच्चों की मां को सलाह दी कि तुम अपने बच्चों को इन साधु के पास ले जाओ। शायद उनके आशीर्वाद से उनकी बुध्दि कुछ ठीक हो जाये। मां को पड़ोसन की बात ठीक लगी। पड़ोसन ने यह भी कहा कि दोनों को एक साथ मत ले जाना नहीं तो क्या पता दोनों मिलकर वहीं कुछ शरारत कर दें और साधु नाराज हो जाये। अगले ही दिन मां छोटे बच्चे को लेकर साधु के पास पहुंची।
साधु ने बच्चे को अपने सामने बैठा लिया और मां से बाहर जाकर इंतजार करनेको कहा। साधु ने बच्चे से पूछा- बेटे, तुम भगवान को जानते हो न? बताओ, भगवान कहां है?
बच्चा कुछ नहीं बोला बस मुंह बाए साधु की ओर देखता रहा।
साधु ने फिर अपना प्रश्न दोहराया पर बच्चा फिर भी कुछ नहीं बोला।
अब साधु को कुछ चिढ़ सी आई, उसने थोड़ी नाराजगी प्रकट करते हुये कहा- मैं क्या पूछ रहा हूं तुम्हें सुनाई नहीं
बच्चा कुछ नहीं बोला बस मुंह बाए साधु की ओर देखता रहा।
साधु ने फिर अपना प्रश्न दोहराया पर बच्चा फिर भी कुछ नहीं बोला।
अब साधु को कुछ चिढ़ सी आई, उसने थोड़ी नाराजगी प्रकट करते हुये कहा- मैं क्या पूछ रहा हूं तुम्हें सुनाई नहीं
देता,जवाब दो, भगवान कहां है? बच्चे ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुंह बाए साधु की ओर हैरानी भरी नजरों से
देखता रहा।
देखता रहा।
अचानक जैसे बच्चे की चेतना लौटी। वह उठा और तेजी से बाहर की ओर भागा। साधु ने आवाज दी पर वह रूका नहीं सीधा घर जाकर अपने कमरे में पलंग के नीचे छुप गया। बड़ा भाई, जो घर पर ही था, ने उसे छुपते हुये देखा तो पूछा- क्या हुआ? छुप क्यों रहे हो?
"भैया, तुम भी जल्दी से कहीं छुप जाओ।" बच्चे ने घबराये हुये स्वर में कहा।
"पर हुआ क्या?" बड़े भाई ने भी पलंगके नीचे घुसने की कोशिश करते हुये पूछा। "अबकी बार हम बहुत बड़ी मुसीबतमें फंस गये हैं। भगवान कहीं गुम हो गया है और लोग समझ रहे हैं! कि इसमें हमारा हाथ है !"
"भैया, तुम भी जल्दी से कहीं छुप जाओ।" बच्चे ने घबराये हुये स्वर में कहा।
"पर हुआ क्या?" बड़े भाई ने भी पलंगके नीचे घुसने की कोशिश करते हुये पूछा। "अबकी बार हम बहुत बड़ी मुसीबतमें फंस गये हैं। भगवान कहीं गुम हो गया है और लोग समझ रहे हैं! कि इसमें हमारा हाथ है !"
देश के मंदिर
देश का सबसे ज्यादा दौलतमंद मंदिर तिरुपति बालाजीका मंदिर है इस मंदिर की कुल संपत्ति 5200 करोड़ रुपए है|
शिरडी साईं बाबा का मंदिर आय के मामले में भारत का दूसरा सबसे दौलतमंद मंदिर है|
तीसरे नंबर पर माता वैष्णों देवी का मंदिर है जिसकी सालाना आय ... 500 करोड़ रुपए है|
जबकि सिद्धि विनायक मंदिर को 46 करोड़ रुपए सालाना दान में मिलते हैं।
उत्तराखंड की भयानक त्रासदी के कई दिन बाद भी किसी धर्मस्थल के प्रबंधकों द्वारा पीड़ितों के
पुनर्वास के लिए किसी बड़े सहायता कार्यक्रम की शुरुआत नहीं की है. मंदिरों के पास जो अकूत दौलत
है वो जनता की संपत्ति है. उसका जनहित में इस्तेमाल करना सबसे ज्यादा धार्मिक और मानवीय
कर्म होगा आखिर धन के खजाने में पडे रहने या उसका गलत इस्तेमाल करने को कैसे स्वीकर
किया जा सकता है जबकि लोग मर रहे हैं?
गर्लफ्रेंड
१. पापा कहते है "बेटा पढाई करके कुछ बनो" तो बुरा लगता है, पर यही बात जब गर्लफ्रेंड कहती है तो लगता है केयर करती है |
२. गर्लफ्रेंड के लिए माँ-बाप से झूठ बोलते है, पर माँ-बाप के लिए गर्लफ्रेंड से क्यूँ नहीं... ?
३. गर्लफ्रेंड से शादी के लिए माँ-पापा को छोड़ देते है, पर माँ-पापा के लिए गर्लफ्रेंड को क्यूँ नहीं ?
4. गर्लफ्रेंड से रोज रात में मोबाईल से पूछते है खाना खाया की नहीं या कितनी रोटी खाई, पर क्या आज तक ये बात माँ-पापा से पूछी ?
5.गर्लफ्रेंड की एक कसम से सिगरेट छूट जाती है, पर पापा के बार-बार कहने से क्यूँ नहीं ?